समय की बहती गंगा में


समय की बहती गंगा में,
हम संस्कार न बहा दे।
मां पिता के चरण वंदन की ,
प्रथा न भुला दे।
जिस धरा में जन्म हुआ ,
उस मिट्टी को न भुला दे।

समय की बहती गंगा में,
हम संस्कार न बहा दे।
जिन्होंने लिखीं थी , आज़ादी की गाथाएं।
उनका सम्मान न भुला दे।
वीरो की धरती का हम,
विश्व में अपमान ना करा दे।

समय की बहती गंगा में,
हम संस्कार न बहा दे।
भारत की शान को हम,
विश्व में सम्मान दिला दें।
भारत के राष्ट्रगान को ,
दिल से हम आज अपना ले।

समय की बहती गंगा में,
हम संस्कार न बहा दे।
जय हिन्द के नारे को हम,
अपना अगास बना दे।
भारत की संस्कृति को हम,
दिलो में बसा ले।

समय की बहती गंगा में,
हम संस्कार न बहा दे।
टेक्नोलॉजी के युग में हम,
बड़ों का  आदर , सम्मान ना भुला दे।
समय की बहती गंगा में,
हम संस्कार न बहा दे।
                   ~  (विक्की ) AJINK

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